शायर
शायर
किसी शायर की मोहब्बत होना
बिलकुल वैसा ही है जैसे कि,
बिखरे हो आसमान में करोड़ों तारे,
लेकिन चांद की चांदनी में गुम है सारे।।
खिले हो बगिया में गुल कई,
लेकिन सुर्ख लाल गुलाब से हारे हो सारे।।
वो आरजू नहीं दुआ बन जाता है।
जब शायर किसी को लय में पिरोता है।।
वो खुशनसीब ही होता है।
जिसके नसीब में शायरी से इश्क होता है।।
किसी शायर की मोहब्बत होना आम बात नही,
वो आंखों से दिल में उतर के प्यार के मोती पिरोता है।।

