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चहक Nath

Romance

3  

चहक Nath

Romance

तुम्हारा जाना

तुम्हारा जाना

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कभी जो प्यार के बंधन में बंधे

आज वो एक-दूजे से मुक्त हो गए

देखते ही देखते ये हम

प्रेम से विरक्त हो गए

हाँ....हम अलग हो गए,


जो कभी मिनटों की दूरी न सहते

वो हफ़्तों और अब सालों

अलग हो गए

देखते ही देखते हम

प्रेम से विरक्त हो गए

हाँ....हम अलग हो गए,


जिनके दिल का दरवाज़ा कभी

उसकी बनाई थाली से गुजरता था

हर एक टुकडें में जैसे

प्रेम का रस टपकता था

वो फरमाइस अब थम गई,


बिना स्वाद के ही

अब थाली बन गयी

लेकिन वो मेरी भूख तुम ले गए

हाँ....हम अलग हो गए,


तुम तो मेरी मांग का सिन्दूर थे

मेरे माथे पर सजी बिन्दी का नूर थे

मेरे बालों के गजरे का हर एक फूल थे

तो आज कैसे मुरझा गये ये फूल

कैसे गये तुम मुझको भूल,


क्या खता हुई थी मुझसे

जो तुम मुझसे विरक्त हो गए

हाँ ...हम अलग हो गए,


हाँ....हम अलग हो गए।


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