STORYMIRROR

Asmita prashant Pushpanjali

Romance

2  

Asmita prashant Pushpanjali

Romance

शाम की तन्हाई

शाम की तन्हाई

1 min
374


ये शाम की तन्हाइयाँ

घिर आई जो बादल बनके

कहीं उसमें तुम हो छुपे

ढूंढे हम डर-डर के।


वो खुशनुमा रातें

साथ जो हम बाँटे

वो सुबह की लालिमा

संग चेहरे पे दमके।


सुबह की भोर वो

सूरज की बाँहों में हम घिरे

महकती जुल्फों में तुम

हमारे उलझे।


ये शाम की

ला ला ला ला

लि लि लि लि लि

मा मा मा ।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance