शाम की तन्हाई
शाम की तन्हाई
ये शाम की तन्हाइयाँ
घिर आई जो बादल बनके
कहीं उसमें तुम हो छुपे
ढूंढे हम डर-डर के।
वो खुशनुमा रातें
साथ जो हम बाँटे
वो सुबह की लालिमा
संग चेहरे पे दमके।
सुबह की भोर वो
सूरज की बाँहों में हम घिरे
महकती जुल्फों में तुम
हमारे उलझे।
ये शाम की
ला ला ला ला
लि लि लि लि लि
मा मा मा ।।

