कसक
कसक
कोइ कसक है दिल में,
जो उठती है बार बार।
याद तेरी आती है,
तेरे रूठ जाने के बाद।
एक अलग सा रिश्ता है,
एक अलग सा बंधन है,
मुड जाते है रास्ते,
फिर भी साथ चल पड़ते हैं।
बडे शिद्दत से चाहता है दिल,
रूख बादलोंका बदलना।
और तुफाँ है कि,
रुकने का नाम ही नहीं लेता।