STORYMIRROR

Asmita prashant Pushpanjali

Abstract

4  

Asmita prashant Pushpanjali

Abstract

खुर्ची

खुर्ची

1 min
715

फिलहाल खुर्ची डोल रही है

सत्ता किसकी हो, बोल रही है।


जो नेता जनतासे मांगे वोट,

वोट के बदले जनता को बांटे नोट,

नोट बांटकेभी काम ना हो,

तो सत्ता पाने उसका इमान जाये डोल।


सत्ता की लालच मे,

अभिवचन जाये भुल,

अभिवचन है हमको दिया,

ऐसी उठाये चुल।


जनता मरती हो भुकमरी से,

जनता लुटती हो भ्रष्टाचारी से,

इनको है घर की तिजोरी भरनी,

इसलीये चाहिये, खुर्ची की सत्ता प्यारी।


जनता का ये तोड़े विश्वास

फिर भी कहे, हम सेवक है खास।

फिलहाल खुर्ची डोल रही है

सत्ता किसकी हो, बोल रही है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract