खुर्ची
खुर्ची
फिलहाल खुर्ची डोल रही है
सत्ता किसकी हो, बोल रही है।
जो नेता जनतासे मांगे वोट,
वोट के बदले जनता को बांटे नोट,
नोट बांटकेभी काम ना हो,
तो सत्ता पाने उसका इमान जाये डोल।
सत्ता की लालच मे,
अभिवचन जाये भुल,
अभिवचन है हमको दिया,
ऐसी उठाये चुल।
जनता मरती हो भुकमरी से,
जनता लुटती हो भ्रष्टाचारी से,
इनको है घर की तिजोरी भरनी,
इसलीये चाहिये, खुर्ची की सत्ता प्यारी।
जनता का ये तोड़े विश्वास
फिर भी कहे, हम सेवक है खास।
फिलहाल खुर्ची डोल रही है
सत्ता किसकी हो, बोल रही है।