शाम के नाम लिखा
शाम के नाम लिखा
एक खत लिखा मैंने शाम के नाम पर
पता लिखे बिना ही भेज दिया उसको मैंने,
खत ये लिखा था हमने शाम के नाम पर
जो रोज हमसे मिलने आ जाती है तेरी यादों
का कारवां साथ लेकर....
हर शाम तेरे संग बिताने का वादा हम आज भी
निभाते है,
कभी बीमार भी पड़ जाते है हम तेरी यादों को
आँखों में संजो कर सो जाते है,
एक पल के लिए भी नहीं जुदा होती तेरी यादें मुझसे,
ये यादें ही तो मेरे जीना का इकलौता सहारा है,
हर शाम रहता है मुझ को तेरा इंतजार,
अपना हाले दिल उस खत में हमने लिखा पर
पता लिखा ही नहीं और भेज दिया,
एक रोज वो खत डाकिया बाहर वापस फेंक गया,
बिना पता मैं किसको दे कर आऊं ये सवाल लिख कर,
चलो अच्छा हुआ वो खत वापस आ गया वरना हमको
हर पल चिंता लगी थी कि खत किसको मिलेगा,
हम तो आज भी हर शाम तेरे नाम तेरी यादों के कारवां संग
गुजारते है,
तेरी शामों का हिसाब हमको नहीं चाहते पर हमको यकीन है
कि तुम भी हमारी तरह हर वादा अपना निभाते हो,
क्या तुमने भी कोई खत हमको लिखा और संभालकर रखा है....