शादी
शादी
बात गम की है ना खुशियों की वादी का है,
ये बात तो एक अटूट बंधन शादी का है।
बहुत सुना कहानियों में एक शहज़ादा आता है,
काले सूट पहने हुए सफेद घोड़ा दौड़ाता है।
परियों की कहानियों में भी ज़िक्र होता है उसका,
भला बताओ ऐसा ख्वाब पूरा हुआ है किसी का ?
ख्वाब ये तो हर एक शहज़ादी का है,
ये बात तो एक अटूट बंधन शादी का है।
चलो अब हकीकत की आस करते हैं,
प्यार है जो दुनिया का उसे आभास करते हैं।
कुछ हो गया था हमें जाने अनजाने में,
बस दिन बीतने लगे एक दूसरे को मनाने में।
ना फसाना ये किसी की बरबादी का है,
ये बात तो एक अटूट बंधन शादी का है।
फिर जहाँ में ख्वाब अनोखा सजने लगा,
चलो कर लेते हैं शादी ऐसा उन्हें लगने लगा।
जज़्बातों की लहर में दोनों बह रहे थे,
ना जी पाए एक दूजे बिना कह रहे थे।
आज दिन हसीन उनकी आज़ादी का है,
ये बात तो एक अटूट बंधन शादी का है।
चलो अब बात तुम्हें आगे की बताए,
लड्डू जो खाए पछताए ना खाए पछताए।
अब प्यार का नाम औ निशान नहीं,
बढ़ते रहे झगड़े दिन ब दिन यूंं ही।
एक बाहर यारी दूसरे की गैरज़िम्मे
दारी,
बढ़ते हुए झगड़ो की महामारी का है।
ये बात तो एक अटूट बंधन शादी का है।
दूर हुए तब दोनों को एहसास हुआ,
आखिर प्यार ने था क्यो हमें छुआ।
मिलकर दोनों यूंं फैसला लेते हैं,
तुम खुशी बाँटो हम गम बाँट लेते हैं।
हालात अब उनकी होशियारी का है,
ये बात तो एक अटूट बंधन शादी का है।
पत्नी ने कहा तुम्हें मेरा संसार बनाया है,
हज़ारों गम के बीच एक तुम्हें पाया है।
पूरे करूँगी तुम्हारे सारे अरमान यहीं है,
बस तुम देना मुझे जो सम्मान सही है।
बात गूँज गई दिल अब फौलादी का है,
ये बात तो एक अटूट बंधन शादी का है।
पति ने फिर सात फेरो को याद किया,
माँग ली माफी और माफ किया।
तेरे हर सपने मेरे सपनों में बसते है,
चल फिर हम एक साथ रहते हैं।
ना उठाए कदम जो बरबादी का है,
ये बात तो एक अटूट बंधन शादी का है।
साथ अब ज़िंदगी भर ऐसे बिताया,
जैसे कि पहला खोया प्यार हो पाया।
बिछडे़गे नहीं भले कोई क़यामत रहे,
दुआ दी लोगों ने जोड़ा सलामत रहे।
अफसाना हर अनजाने अनजानी का है,
ये बात तो एक अटूट बंधन शादी का है।