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Gopal Agrawal

Children

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Gopal Agrawal

Children

सब खुश थे

सब खुश थे

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सुबह सुबह हमारी बेटी ने सोते से उठाया,
फिर अपना सुंदर सा एक सपना सुनाया,
कहने लगी पापा,
रात को सपने में परी दीदी आई थी,
उन्होने सपने में अच्छी बातें बताई थी,
वो मुझे व मास्टर जी परी लोक लेकर गई थी,
वहां की दुनिया तो यहां से एकदम नई नई थी,
हर तरफ फैला प्रकाश ही प्रकाश था,
सब खुश थे, नहीं कोई उदास था,
सभी के चेहरे तेज से चमक रहे थे,
हीरे, मोती माणिक भी दमक रहे थे,
पापा पापा हम देख रहे थे
परी लोक कैसा दिखता है,
क्या यहां की तरह
परी लोक में पैसे में आदमी बिकता है,
नहीं यहां तो अलग ही नजारा था,
सब साफ सुथरा एवं प्यारा प्यारा था,
चारो तरफ हीरे माणिक बिखरे पड़े थे,
लोग अगवानी के लिए हाथ जोड़े खड़े थे,
मैनें भी परी दीदी से कहा
इस लोक जैसा मेरा देश बनाओं,
यहां से भूखमरी, गरीबी, भ्रष्टाचार भगाओं,
पापा पापा मास्टर जी ने पढ़ने का बोल दिया,
नींद में ही मेरे अधूरे सपने को खोल दिया,


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