सैर
सैर
चलो आज सैर करते हैं,
चांदनी बिखरी है राहों में,
बादलों के बीच से गुजरते है,
मौसम भी बदलने की फितरत में है ।
एक तुम्हारे आने से,
सभी तेवर बदलते हैं,
रजनीगंधा भी शर्मा के महक उठती है रातों में।
चलो आज सैर करते हैं,
चांदनी बिखरी है राहों में।
हवाएं भी अपनी मस्ती में,
तुम्हें छू कर बहकते है।
खेलने की फिराक में तेरी जुल्फों से,
हौले से उन्हें बिखरते है।
चांद की हल्की किरणों से,
तेरा चेहरा और भी बहकता है,
बेचैन कर मुझे ये,
नशेमन कर जाता हैं।।
चलो आज सैर करते हैं,
चांदनी बिखरी है राहों में,
तुम जो साथ रहो मेरे,
तो हर एक पल एक नशा सा है।