सास में माँ
सास में माँ
प्यार से बनाया था मायके ने मुझे
सुबह आंख ना खुली तो बच्ची है
हर गलतियों को नजरअंदाज करते
सोचते कि समझ में थोड़ी कच्ची है !
घर में काम नहीं करते तो क्या हुआ
आखिर एक दिन सीख जाएगी
बेटी को आजादी दी है तो क्या हुआ
एक दिन बेटों जैसे नाम कमाएगी!
पर कड़वा सच तो यह है कि
उसे किसी और के घर जाना है
ना चाहकर भी मायके को उसे
एक दिन रिवाजों से भुलाना हैं!
कदम जब लड़खड़ा रहे थे तो
मायके ने ही संभाल रखा था
हाल जो खराब हुआ यहाँ तो
ससुराल में बवाल मचा रखा था !
रिश्तों में अपनेपन की तलाश थीं और
मां का रूप सांस में ढूंढते रह गयीं
वो मुझे गालियों गालियों में ही सही
अक्सर बिगड़ी बहू कहती रह गयीं!
सोचती हूं एक रिवाज बने और
एक ऐसा जहान मिल जाए
जहां बहू में बेटी दिखने लगे
और सास में मां मिल जाए!
