: सारे वतन को बेच दिय
: सारे वतन को बेच दिय
हमारे घर को हमारे ज़हन को बेच दिए
ये बात सच है कि सारे वतन को बेच दिए।
लगा के आग अदावत कि, नफरतों कि जनाब
बस एक फ़क़ीर ने पूरे चमन को बेच दिए ।
मोहब्बत, इश्क़, रवादारी गुज़री बातें हैं
नए सलीम ने रस्म-ए-कुहन को बेच दिए ।
ग़रीब बात कि बेचारगी, महंगी तालीम
एक दोशीज़ह ने अपने बदन को बेच दिए ।
शहर में छोटा सा घर ले लिए उस ने लेकिन
गांव के घर व पुराने सहन को बेच दिए ।
अकेले कौन सुने का तुम्हारी ऐ मोहसिन
सुख़नवरों ने यहाँ पर सुख़न को बच दिए ।
