ये खून खून एड़ियां
ये खून खून एड़ियां
तुम जब से बैठे हो तख़्त पर, सब ही कुछ बदहाल है
ये उरूज है की ज़वाल है, यह तुम से मेरा सवाल है
कोई आह करता है रोड पर, कोई पटरियों पे है पड़ा हुआ
यह सब है तेरा किया धरा, तेरा हर अमल ही बवाल है
ये खून खून एड़ियां, ये तार तार पैरहन
ये आबलापा ग़रीब लोग, यह कैसा सारा बवाल है
अरे बंद है सब के दहन यहाँ, करो ज़ुल्म चाहे जितना यहां
कोई बोल दे दो लफ्ज़ भी, कहाँ इतनी किसकी मजाल है
न ही दर्द ए दिल का पास है, न ही आंसूओं की सिपास है
कहाँ किस के पहलु में दिल है यां, यह बस तेरा ही कमाल है
जिन्हें गुफ्तुगू का सलीक़ा था कुछ, वह निकले सारे ज़बां फरोश
कोई मर रहा है कि जी रहा, कहाँ किस को कोई मलाल है
मेरी बात में जो ये कर्ब है, जो ये दर्द है और सोज़ है
मेरे रब का सारा दिया हुआ, मेरे दिल में थोड़ा उबाल है