इलज़ाम अभी और भी आएंगे देखना।
इलज़ाम अभी और भी आएंगे देखना।
इलज़ाम अभी और भी आएंगे देखना ।
हर रोज़ नया झूठ वो लाएंगे देखना ।।
उनको मोहब्बतों से नहीं कुछ भी सरोकार ।
नफ़रत को अभी और बढ़ाएंगे देखना ।।
जंजीर तोड़ बैठी हैं अब के ये ख़वातीन ।
हम रेत की दीवार गिराएंगे देखना ।।
वह चाहते हैं एक नया दस्तूर लेके आएं ।
मसनद से उनको हम ही उतारेंगे देखना ।।
क़ुव्वत पर अगर नाज़ है उनको तो यह सुन लें ।
हम सर पे कफ़न बांध के आएंगे देखना ।।
वह तोड़ के तक़्सीम के क़ायल हैं मगर हम ।
फिर सबको अपने साथ में लाएंगे देखना ।।
अफ़वाहें तो उनकी बहुत देख चुके हैं।
हम सिद्क़ उनको फिर से सिखाएंगे देखना ।।
उसने हमारे सब्र का क्यों इम्तिहां लिया ।
हम फिर से उसको रोड पे लाएंगे देखना ।।
दुनिया के सामने वह अलामत हो प्यार की ।
हम मुल्क को कुछ ऐसा संवारेंगे देखना ।।
'मोहसिन' वो अपनी सारी हदें पार कर चुके ।
हम उनको नानी याद दिलाएंगे देखना ।।