यूँ हमको सताओ न तुम
यूँ हमको सताओ न तुम
यूँ हमको सताओ न तुम,
ज़रा पास आओ न तुम !
निगाहों में मस्ती है, जादू भरी हैं,
ये ज़ुल्फ़ें हैं जैसे घटाएं घिरी हैं,
लबों का तबस्सुम ये खिलती कली है,
कि माबैन लब जैसे मोती जड़ी है !
कि यूँ मुस्कराओ न तुम,
ज़रा पास आओ न तुम !
ये आरिज़ गुलों को भी शर्माए तेरे,
जो एक बार देखें वो बन जाएं तेरे,
तुझे चाँद देखे तो शर्माए तुझ से,
कि महफ़िल की रौनक नज़र आए तुझ से !
यूँ चिलमन गिराओ न तुम,
ज़रा पास आओ न तुम !
ऐ हुस्ने मुजस्सम ऐ रेशम कि डोरी,
सही जाए मुझ से न तेरी ये दूरी,
मेरे पास आओ न यूँ दूर जाओ,
मुहब्बत को मेरी न तुम आज़माओ !
कि यूँ दिल जलाओ न तुम,
ज़रा पास आओ न तुम !
तुझे भर के बाँहों में चूमा करूँगा,
हमेशा मैं तेरी ही पूजा करूँगा,
तुझे अपने दिल में बिठा के रखना,
ज़माने से तुझ को छुपा के रखूँगा !
कि यूँ दूर जाओ न तुम,
ज़रा पास आओ न तुम !