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मोहब्बत के दिन नफरतों का धमाका

मोहब्बत के दिन नफरतों का धमाका

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मोहब्बत के दिन नफरतों का धमाका

मेरे यार देखो हुआ क्या, हुआ क्या !

उमंगें थीं दिल में समां भी अजब था

मेरी धड़कनों का इरादा ग़ज़ब था।


हज़ारों थे अरमां दिल -ए-मुज़तरिब में

मगर लब पे आने से पहले हुआ क्या

मोहब्बत के दिन नफरतों का धमाका

मेरे यार देखो हुआ क्या, हुआ क्या !


ज़रा सरहदों के मुहाफ़िज़ को देखो

चमनज़ार कर दी शहेराह दम में

लहू ऐसे बहने लगा जैसे पानी

महकने लगा जैसे रातों की रवानी।


मोहब्बत के दिन नफरतों का धमाका

मेरे यार देखो हुआ क्या, हुआ क्या !


जो चेहरे तबस्सुम से मामूर थे

मोहब्बत के नग़मों से मख्मूर थे

ज़रा दम में ग़मगीन दिखने लगे

और बे परवा माशूक़ कहने लगे।


मोहब्बत के दिन नफरतों का धमाका

मेरे यार देखो हुआ क्या, हुआ क्या !


शहेराह पे लाशों के ढेरों के ढेर

हों बगीचे में जैसे फूलों के ढेर

वतन पर मिटे इन शहीदों की गाथा

मेरे नाख़ुदाओं से कह दो ज़रा सा।


मोहब्बत के दिन नफरतों का धमाका

मेरे यार देखो हुआ क्या, हुआ क्या !


बिलखती हुई माँ ने आँसू समेटे

सिसकती हुई कुछ बहु से कहा यूँ

शहीदों की तुर्बत पे फूलों की माला

ज़रा देखो है कितना मंज़र निरााला।


मोहब्बत के दिन नफरतों का धमाका

मेरे यार देखो हुआ क्या, हुआ क्या !


शहीदों की क़ुर्बानियों पर सियासत

अमीर-ए-शहर तूने ऐसा किया क्या

नहीं चाहिए नफरतों की तिजारत

करो तुम न यूँ गन्दगी की सियासत।


मोहब्बत के दिन नफरतों का धमाका

मेरे यार देखो हुआ क्या, हुआ क्या !


शहीदों का खून कह रहा है हरेक से

वतन से मोहब्बत थी जानें गँवा दीं

न तुम यूँ अदावत को रखो बयां में

करो आम अम्नो अमां को जहाँ में।


मोहब्बत के दिन नफरतों का धमाका

मेरे यार देखो हुआ क्या, हुआ क्या !


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