STORYMIRROR

Asha Pandey 'Taslim'

Fantasy

2  

Asha Pandey 'Taslim'

Fantasy

साधक

साधक

1 min
2.8K


वर्षों की साधना 

कठिन तपस्या के बाद

सधता हैं जोगी का मन

फ़िर कहीं तन

गृहस्थी भी साधना है

कठिन 

यहाँ तपता है पहले तन

फ़िर मन

इच्छाओं पर धीरे-धीरे

विजय फिर

गहरी नींद में 

सो जाता हैं मन

तन खुद की थकान

को समेटे बिखरता हैं

हर रात बिस्तर पर

सुबह सोए इच्छाओं को

जगाता है

पर कभी कभी मन सो जाता है

तन जागता है अचानक

लम्बी और उबाऊ रात

के अँधेरे में

हे तपस्वी वो मन्त्र दे दो मुझे

जो इच्छाओं की गठरी उतार

आराम से तन और मन समेटे

सो सके बहुत गहरी नींद

नींद यानी अधूरी मौत

और रात इच्छाओं का जागना

ज्यों हो मुकम्मल मौत।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Fantasy