Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

कहानी एक बंजारे और चांदनी की

कहानी एक बंजारे और चांदनी की

2 mins
14.2K


वो चांदनी से प्यार करता था,
जानते हुए की दाग से लिपटे चाँद की हैं वो,
काले बादल दरमियान दोनों के रोके पहाड़ों से हैं खड़े,
जानते हुए की तारों ने हैं जाल बीछा रखे उनके लिए,

पर इन बातों से उस अनजाने को क्या,
वो एक बंजारा, जो अलबेला सा अकेले झूमता था,
प्यार में चांदनी के हँसता तो कभी रोता घूमता था,
जब वो ना दिखे तो मौत से जा लड़ बैठता था…

चांदनी जानती थी सब,
पर डर में छुपकर बस उसे देखा करती थी,
चाह कर भी ना आती थी मिलने बंजारे से वो,
सोच ये की आसमान कभी ना टूट पड़े उसपे…

बंजारे का सब्र टूटने को था अब,
एक इंतज़ार साँसों के साथ ख़त्म होने को था जब,
पुकारा उसने लगा के जान जितनी बाकी थी उसमे,
चीख की गूंज से बिजली भी काँपती सिमट गई थी खुद में…

कहा या तो कैद रह उस बैमानी पिंजरे में आसमान के,
और इस जिस्म को कर दे जुदा मेरे खुद से,
या फिर बेपरवाह आ कर गिर मुझ पे,
और बुझी रूह को जुगुनू बना दे मेरे…

चांदनी आई मगर बहुत देर कर दिया था उसने,
ढूंढा बहुत उसने हर जगह बंजारे को,
पर हरा जिस्म अनजाने का ना मिला कही उसको,
रूह भी शायद उसकी कंही अँधेरे में गई थी खो..

अब तक चीख गूंजती हैं उस अलबेले की,
चांदनी भी अक्सर रातों में चमक बैठती हैं
और बेपरवाह गिरती हैं वो अब अंधेरो में,
बंजारे को जुगनू बना खुद से मिला लेने को…

वो एक बंजारा था,
जो चांदनी से प्यार करता था…


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Fantasy