STORYMIRROR

Ankit Shail

Children Fantasy Abstract

3  

Ankit Shail

Children Fantasy Abstract

चार नन्ही और एक जंगल

चार नन्ही और एक जंगल

2 mins
27.9K


चार दीवारों की एक रंगीन खिड़की से,
अँधेरे में बंद चार नन्ही ऑंखें झाँक रही थी,
खिड़की के पास प्लास्टिक के कुछ फूल झूल रहे थे,
कुछ मुरझाये हुए थे, तो कुछ खिले-खिले से थे…

खिड़की के बहार एक जंगल था, जो इमारतों से घना बड़ा था,
एक काली सड़क थी, जो दौड़ रही थी, जाने कहाँ जाना था उसे,
कुछ आड़े-टेढ़े खम्बे थे जो टूटी-फूटी रौशनी उगल रहे थे,
शायद उस सड़क के वो ही सच्चे हमसफ़र थे…

जंगल में कुछ रंग बिरंगे फूल भी खिले थे,
नंगी तारों पर ईंटों से बने पेड़ों के बीच वो सजे थे,
रोज़ उन्ही बेलों पर नए नए आकारों में वो खिलते थे,
कई बार हवा उन्हें झाड़ा साथ ले जाया करती थी…

सुना था जंगल में एक जादूगर हुआ करता था,
जो गोल गुम्बज वाले एक महल में रहा करता था,
मस्जिद था या मंदिर ये नहीं बोल सकते,
अक्सर वो महल कुछ सालो में रूप-रंग जो बदला करता था…

जब भी कोई नया जादूगर वहाँ आता था,
जादूगरी से उसे तोड़ फिर बना नया नाम दे जाता था,
हर जादूगर का आपन झंडा, गुम्बज में जो लहराया करता था,
झंडे कितने ही बदल चुके थे, पर गुम्बज सबका का गोल ही रहता था…

कहते हैं उस जंगल में कई जानवर भी थे, दिन में जो निकला करते थे,
बनावट सब की एक सी, पर खुद को एक दूसरे से अलग बतलाया करते थे,
ना पानी के लिए ना खाने के लिए, जाने किस बात पे वो लड़ा करते थे,
रहते एक ही जंगल में पर जाने क्यों यूँ एक दूसरे से खफा-खफा से थे…

चार दीवारों की एक रंगीन खिड़की से,
अँधेरे में बंद चार नन्ही ऑंखें झाँका करती थी…


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Children