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Bindiyarani Thakur

Fantasy

4.2  

Bindiyarani Thakur

Fantasy

अकेलापन

अकेलापन

3 mins
152


पत्नी जी बेटी के यहाँ गई हुईं हैं और घर में श्यामकिशोरजी अकेले हैं, यूँ तो स्वयंप्रभा को घर ही में रहना ज्यादा अच्छा लगता है (ऐसा श्यामकिशोर जी की सोच है) 

"दिनभर घर में उठापटक करती रहेंगी,एक कमरे से दूसरे कमरे में डोलती रहती हैं, तह किए कपड़ों को फिर से तह करेंगी या रसोईघर की अलमारी को सजाएंगी, कुछ ना कुछ करते दिन बीत जाता है उसका,"उन्होंने सोचा।और समय की पाबंद तो वह शुरू से ही रहीं हैं, चाय,पानी, नाश्ता खाना बस चुटकियों में निबटा लेती हैं।

कल ही तो गईं हैं,अभी न भी जातीं पर दामाद जी कंपनी के काम से विदेश जाने वाले हैं तो बिजनेस सुचित्रा को देखना पड़ेगा और ऐसे में घर और बच्चों का ध्यान रखना बिटिया के बड़ा कठिन हो जाएगा सो उसने बुलाया तो माता-पिता दोनों को ही था परन्तु श्यामकिशोर जी को दफ्तर से छुट्टी नहीं मिली,अब एक ही बेटी है, सास-ससुर उसके नहीं हैं! अब माँ भी साथ नहीं देगी तो बिचारी की मदद कौन करेगा! सो चली गईं पत्नीजी अपने हिस्से का फर्ज निभाने के लिए।

अकेला घर काटने को दौड़ रहा है, एक गिलास पानी भी चाहिए तो खुद ही उठ कर लेना पड़ता है, श्याम किशोर जी को बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा है,वे मन बहलाव के लिए टीवी खोल कर बैठ जाते हैं परन्तु ये क्या वो तो समाचार, खेल ये सब देखने के बजाए धारावाहिक देखने लग गए, जब स्वयंप्रभाजी होतीं हैं तो श्याम किशोर जी जानबूझ कर चैनल बदलते रहते हैं और स्वयंप्रभाजी उठकर रसोईघर चली जातीं हैं, किन्तु आज श्यामकिशोरजी को न जाने क्या हुआ है कि वे धारावाहिक देख रहे हैं वह भी बहुत चाव से!

घंटे भर देखने के बाद उनको भूख लगने लगी है, वे पत्नी को आवाज लगाते हैं किन्तु तत्काल ही भूल का एहसास होता है कि वह तो यहाँ नहीं है, उठकर रसोई घर में देखते हैं, खाने के लिए कुछ भी नहीं है, खुद ही बनाना पड़ेगा, होटलों का खाना उन्हें पसंद नहीं है और इतनी रात गए किसी दोस्त या रिश्तेदार के यहाँ जाना भी ठीक नहीं लगता!

येन केन प्रकारेण खिचड़ी बनाकर निगलने की कोशिश करते हैं! उनको याद आता है कि स्वयंप्रभाजी खिचड़ी के साथ भी दही का रायता, भुजिया,आलू के पापड़ और अचार वगैरह रख देती है!

किसी तरह निगलने के बाद थोड़ा आँगन में ही टहलने लगते हैं,उनका हाथ जेब में जाता है और मन सिगरेट पीने के लिए मचल उठता है,सिगरेट निकाल कर सुलगा लेते हैं पर होंठ तक आते-आते हाथ काँपने लगते हैं, वे सिगरेट फेंक देते हैं।(पत्नी को उनकी यह लत बिल्कुल भी पसंद नहीं है )

वे सोने के लिए कमरे में चले गए और सोने की कोशिश करने लगे।तभी मोबाइल फोन की घंटी बजी, स्वयंप्रभा थीं दूसरी तरफ उन्होंने हाँ, अच्छा, ठीक कहकर फोन रख दिया। पत्नी से एक बार भी नहीं कहा कि उसकी याद आ रही है !


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