रोना छोड़ो,धोना छोड़ो
रोना छोड़ो,धोना छोड़ो
यह रोना छोड़ो और धोना छोड़ो
मेहनत की तरफ, अपना मुंह मोड़ो
इस जीवन में सफल हो जाओगे
आलस्य की सब दीवारें, तुम तोड़ो
परायों पर कभी ऐतबार मत करो
खुद पर ही, तुम जान निसार करो
अपने आंसुओं को खुद ही पोंछो
परायो पर यूं भरोसा करना छोड़ों
चलो, उठो और खड़े हो भी जाओ
दुःख, असफलता से यूं न घबराओ
अपनी कमियां खुद ही, तुम खोजो
शीशे में खुद ही को खुद, तुम टोको
जितना रोना, तुम संसार में रोओगे
उतना ज्यादा इज्जत तुम खोओगे
जग सामने बिन सोचे मुँ
ह न खोलो
चाहे, अकेले में तुम कितना ही रो, लो
यह जमाना तो बहुत ही खराब है
जिसे दूध पिलाते, निकलता सांप है
अपने सिवा किसी को कुछ न बोलो
अपनी समस्या का हल स्वयं खोजो
अपनी समस्या अपने को ही बोलो
परायों के सामने यूं लब नहीं खोलो
यह, व्यर्थ रोना छोड़ों और धोना छोड़ों
खुद का भार, खुद पर ही, तुम छोड़ों
व्यर्थ का चिंतन करना तुम छोड़ों
अपनी करनी से पत्थर तुम तोड़ो
हौसलों से मृत जीवन में जान फूंकों
मृत्यु सामने हो, तो भी हंसी न छोड़ो।