रंगीला फीका रंग
रंगीला फीका रंग
अनकही कहानियां है हर दिल में
जिसकी धड़कन कभी धड़के ना
पल पल ख्याल उसका ही होगा
पर आवाज कभी न निकले उनका।।
हर कोने में है एक अनकही कहानी
हर किसी को अलग-अलग दिख पाती है
हर किसी के लिए शब्द अलग होंगे
भाव अलग होगा, भावना अलग होगा
पर अंत सब एक पेड़ का जड़ है
चाहे अंदाज अलग हो, मगर कहानी
उसे उस मोड़ पर ला देती है जो उसकी
मंजिल होता है, मंजिल होता है।।
जो जिस नजर से देखेगा उसे वोही सुनाई देगा ,
और वो वही सुन और समझ पाता है।
पर हकीकत को वो न देख पाते है न देखना चाहता है।
बस इतना है उनका सार।।
जो समझ गया तो वो उसका भाग्य है,
यह नहीं है सच, उसने वो देखने की हिम्मत संयम ,
समझ, के फूल संग्रह किया है
मगर अनकही कहानी सुनना आसान नहीं।।
हालत गंभीर होते है जिनका रंग इतना
गहरा होता है की वो सच को ढक ले
यह नहीं की सच को छुपाया जायेगा
परदे ढक लेते नजर को और सब फीका ।।
हकीकत वही वास्तविकता वही होगे
पर नजर अलग होगी ,कुछ कहानियों तो
अतीत कब बनकर छिप जाते है कोई
नहीं सोच सकता है ,न कोई सोचना चाहेगा
दिन रात एक जैसे बीत जाते है
ना धूप ना छाँव ना बारिश ना सर्दी
सब कुछ फीका फीका हो जाता है
मगर सच्चाई को कौन छुपा पाया है ??