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Alka Sharma

Tragedy

4  

Alka Sharma

Tragedy

कोरोना वायरस

कोरोना वायरस

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कोरोना वायरस आया और भय का वातावरण छाया चारों ओर यह कैसा मंजर ,

इस दुनिया को दिखलाया हाथ मिलाने का वैस्टर्न कल्चर,

सारी दुनिया छोड़ रही हाथ जोड़कर करें नमस्ते,आज यह दुनिया सीख रही।  

दादी नानी की कहानियों में सत्यता की जो बातें थी

पहली छींक पर छत्रपति,दूरजी पर जयनंदी कहती थी

खांसने पर मुलैठी को चिंगम जैसे चबाने को देती थी

आंगन की तुलसी पत्तों का काढ़ा बुखार में पिलाती थी

किसी भी वायरस से हमारा,दूर दूर तक ना नाता था

दादीजी ने नीम की कोंपलों को हमको खिलाया था

नीम के पत्तों के पानी में रगड़ रगड़ नहलाया था

कीकर की दातुन से दाँतों को मोतियोंसा चमकाया था

आँगन की माटी में सबकी खूब कबड्डी होती थी 

धूल धूसरित तन को देख कर ताली दे दे हँसते थे

तन पर माटी को दादा प्राकृतिक चिकित्सा कहते थे

अस्थियों को मजबूत बनाने की जादुगरी सिखाते थे

दादाजी क मन के अंदर तब एक लाईबेरी रहती थी

संग खेतोंपर जाना,नित नई बातें ज्ञान वृद्धि करती थी

वायरस जैसी बातें तो तब कभी भी नहीं निकलती थी

उस जीवन शैली में निरोगी काया सदैव ही रहती थी

खेती गोमूत्र-गोबर से करना मज़ाक उड़ाया जाता था

वृक्षों-पत्थरों की पूजा को अंधविश्वास बताया जाता था

जैविक खेती पर सब लौटे,रसायनों से मोह भंग हुआ

पर्यावरण संरक्षण की खातिर ,हमें प्रकृति से प्रेम हुआ

छोड़करअपनी संस्कृति हम,पाश्चात्य सभ्यता में रंग रहे

वही सभ्यता,वैदिक संस्कृति में जीवन मूल्य ढूंढ रही

शाकाहार भोजन के फायदें ,देखो डॉक्टर बता रहे

मांसाहार से नाता तोड़ने की,बातें सभी को सिखा रहे

अपनी समृद्ध संस्कृति से मानव कितना विमुख हुआ

उपभोक्ता वाद की संस्कृति में जीवन के सुख ढूंढ रहा

भौतिक सुख में आनंद खोजे ,भागम भाग में जी रहा

ऋषियों मुनियो के भारत में वाणीओइम कोभूल रहा।

आज भयंकर इस विपदा में, प्रधानमंत्रीनेआह्वानकिया

घर में रहकर सुरक्षित रहना, केवल यही तो मांग लिया

खुद की रक्षा है देश की रक्षा, आज यही तो जान लिया

हाथ जोड़कर विनती सबसे,देशहित में इसका पालन करें।



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