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Alka Sharma

Others

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मेरा जीवन ही अर्थशास्त्र हुआ

मेरा जीवन ही अर्थशास्त्र हुआ

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परास्नातक तक अर्थशास्त्र पढा मैंने

अध्ययन किया पूर्ण मनोयोग से

परिभाषाओं को भी खूब रटा मैंने

इसके नियमों को जीवन में अपनाया


    एडम स्मिथ ने इसे धन का शास्त्र बताया

   आकलन दुनिया का करके देखा मैंने

दोस्त धनी के, नहीं निर्धन का कोई

   छाई चहुंओर सब पर धन की ही माया


कुछ नियम तो अर्थशास्त्र के

हुए लागू मेरे जीवन में भी

मुद्रास्फीति की तरह बढते कर्तव्य

मुद्रासंकुचन सदृश घटते अधिकार मेरे


     आवश्यकता का सम्पूर्ण अध्याय

    कहीं मुझमें ही सब समा गया

    कभी बेटी कभी पत्नी कभी माता

    संलग्न सबकी आवश्यकताओं की पूर्ति में


सबकी अनंत असीमित आवश्यकताएं

एक की पूर्ति के पश्चात दूसरी आती

और मांग और पूर्ति के नियम सदृश

स्वयं ही घटती बढ़ती रही हमेशा मैं


      ग्रेशम के नियम का समाज रहा साक्षी

     बुरी मुद्रा चलन से बाहर करती अच्छी मुद्रा

     चारों ओर बुराइयों का वटवृक्ष पनप रहा

      अच्छाइयां कहीं कोने में पड़ी सिसक रही


माल्थस का जनसंख्या सिद्धांत

अक्षरशः सत्य हो रहा भारत में

ज्यामितीय अंकगणितीय क्रम देखों

जिंदगी में अति फलीभूत हुआ

        सीमांत उत्पादकता का नियम

       व्यापार के भवन की पक्की नींव बना

       मांग की लोच में बीता सारा जीवन

       किस किस नियम की करूं व्याख्या

मेरा जीवन ही अर्थशास्त्र हुआ।



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