STORYMIRROR

Ramchander Swami

Tragedy

4  

Ramchander Swami

Tragedy

बदनाम गलियां

बदनाम गलियां

2 mins
614


हाँ, ये वही बदनाम गलियाँ हैं,

जहाँ हर रोज़ नाम वाले आते हैं।

अपने हवस की निशानी छोड़ जाते हैं।


हाँ, ये वही बदनाम गलियाँ हैं,

जहाँ हर दिन एक नया तमाशा होता है।

किसी की आबरू का जनाज़ा होता है।


हाँ, ये वही बदनाम गलियाँ हैं,

जहाँ हर रात महफ़िल सजाई जाती है,

चंद सिक्कों की ख़ातिर, बिस्तर लगाई जाती है।


हाँ, ये वही बदनाम गलियाँ हैं,

जहाँ लड़की होने पे जश्न मनाया जाता है,

पैरों में बेड़ियाँ डाल, घुंघरू बताया जाता है।


हाँ, ये वही बदनाम गलियाँ हैं,

जहाँ आबरू सरे आम लूटी जाती है,

ज़िंदा लाश बनी लड़कियाँ , घोंटी जाती है।


हाँ, ये वही बदनाम गलियाँ हैं,

जहाँ बेटी हो या बहन रिश्ता नहीं देखा जाता है,

धंधे की आग में सब को धकेला जाता है।


हाँ, ये वही बदनाम गलियाँ हैं,

जहाँ कल भी बेचा थी, आज भी बिकती हैं,

कल भी मरती थीं, आज भी मिटती हैं।


हाँ, ये वही बदनाम गलियाँ हैं,

जहाँ हर एक आह की बोली लगाई जाती है,

हवस की आग, उसी आह से बुझाई जाती है।


हाँ, ये वही बदनाम गलियाँ हैं,

जहाँ कीमती लिबास का कोई मोल नहीं होता है,

इंसान का वजूद , पुर्ज़ा-पुर्ज़ा कहीं पड़ा होता है।


हाँ, ये वही बदनाम गलियाँ हैं,

जहाँ हर युग से कल युग तक वही खेल है,

रिश्ता तो सिर्फ एक, जिसका नाम 'रखेल' है।


हाँ, ये वही बदनाम गलियाँ हैं,

जहाँ क़लम की स्याही भी दम तोड़ देती है।

ज़माना क्या कहेगा, कहकर छोड़ देती है।


हाँ, ये वही बदनाम गलियाँ हैं,

हाँ, ये वही बदनाम गलियाँ हैं।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy