रंग बिखेरते फूल
रंग बिखेरते फूल
फूल सा नाजुक
दिल था मेरा
इश्क में संभलना
मुश्किल था मेरा
तुम फूलों की महक जैसे,
जिंदगी में आए ,और
फूल जैसी उम्र बिता कर
चले भी गए !
फिर
तुम्हारी जुदाई में----
दिल की जमी पर---
मैंने बोये ---
साथ गुजारे कुछ हसीन लम्हे,
उगने लगी----यादें
धीरे धीरे
अश्कों से सींच-सींच कर---
नरम की गई जमीन पर---
बढ़ने लगी यादें----
अंकुरित हूई---- इंतजार की घड़ियां,
फैलती गई----- शाखाएं--- प्रति शाखाएं
खिलने लगे----
उम्मीदों के,
आस के,
वस्ल के
इंतजार के फूल,
पर तुम मुड़कर वापस नहीं आए,
फिर
तकते तकते रास्ता तुम्हारा,
मुरझाने लगे---- यादों के फूल
और, बिखर गए----
प्यार के रंग-----
दिल की जमीं पर
तेरे प्यार के फूल,
रंग बिखेरते हुए ---सूखने लगे
और
मैं--- इन रंग बिखेरते
फूलों के कांटे
दामन में समेटे
बैठी ही रह गई
तुम्हारे इंतजार में।