STORYMIRROR

रक्त रंजित लाल बत्ती

रक्त रंजित लाल बत्ती

1 min
448


वो कराह रही थी 

वो तड़प रही थी

दर्द अब बर्दास्त के बाहर

पति से कह रही थी

मैं क्या करूं पता नहीं


मालूम तुम्हारी खता नहीं

पर वीआईपी लोगों को आना है

हमको यूँ ही सताना है

उनकी सुरक्षा ज्यादा जरूरी है


तुम मर भी जाओ किसको पड़ी है

ये लाल बत्ती इन्हें हमने ही दी है

ग़लती जान कर भी भयंकर की है

अब ये हमारी लाशों पर सुरक्षा पाएंगे


और मरती रहोगी तो भी वोट मांगने आएंगे

अब प्रजातंत्र है प्रिय

देखो प्रजा को मरना ही पड़ेगा

अब इस वी आई पी कल्चर का


हमें कुछ करना ही पड़ेगा

चलो आज तुम रो लो चिल्ला लो

मैं कुछ कर ना पाउंगा

वादा रहा आने वाली पीढ़ी को


इसके दुष्परिणाम जरूर बताऊँगा

सुने ना सुने कोई आवाज़ हमारी

पर इन लोगों से गुहार लगाऊंगा।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy