तेरी चाहत क्या है?
तेरी चाहत क्या है?
आँखों में तेरे ए इंसा
नफरत का अंगार नजर क्यूँ आता है ?
इस दुनिया का अक्स है तू
फ़िर बीमार नजर क्यूँ आता है ?
तेरी आदतों की मौज़ है ये
आखिर ये जिगरा तेरा अपना
जख़्म खाए बिना ही
सुर्ख़ तेरा रुख़सार नजर क्यूँ आता है ?
मिट्टी के ख्वाब है ये बंदे
लगेंगी फिर नुमाईशें देखना
बिक गई बे मोल भी तो क्या
तू बेज़ार नजर क्यूँ आता है ?
मांग लिया तूने ज्यादा शायद
अपनी किस्मत के पैमाने से
फटी जेब वाला शख्स ही अब
तूझे दिलदार नजर क्यूँ आता है ?
सुरत-ए-हाल देखा नहीं
कातिल ये दिल दे बैठा उनको
दुआ सलाम ना कबूले तेरा
तुझे वो यार नज़र क्यूँ आता है ?
चल छोड़! तू दे रुख़सत अब
और निभाई जाती ना ये शिकायतें
वफ़ा की बाते करता वो
अब गद्दार नजर क्यूँ आता है ?
छलनी सा कर दिया
जिन तानों से इस शातिर ज़माने ने
हैरत तूझे उनमे भी भला
शेर और अश'आर नजर क्यूँ आता है ?