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Sushma Tiwari

Abstract Tragedy Inspirational

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Sushma Tiwari

Abstract Tragedy Inspirational

तेरी चाहत क्या है?

तेरी चाहत क्या है?

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आँखों में तेरे ए इंसा 

नफरत का अंगार नजर क्यूँ आता है ? 

इस दुनिया का अक्स है तू 

फ़िर बीमार नजर क्यूँ आता है ? 


तेरी आदतों की मौज़ है ये 

आखिर ये जिगरा तेरा अपना 

जख़्म खाए बिना ही 

सुर्ख़ तेरा रुख़सार नजर क्यूँ आता है ? 


मिट्टी के ख्वाब है ये बंदे 

लगेंगी फिर नुमाईशें देखना 

बिक गई बे मोल भी तो क्या 

तू बेज़ार नजर क्यूँ आता है ? 


मांग लिया तूने ज्यादा शायद 

अपनी किस्मत के पैमाने से 

फटी जेब वाला शख्स ही अब 

तूझे दिलदार नजर क्यूँ आता है ? 


सुरत-ए-हाल देखा नहीं 

कातिल ये दिल दे बैठा उनको 

दुआ सलाम ना कबूले तेरा 

तुझे वो यार नज़र क्यूँ आता है ? 


चल छोड़! तू दे रुख़सत अब 

और निभाई जाती ना ये शिकायतें 

वफ़ा की बाते करता वो 

अब गद्दार नजर क्यूँ आता है ? 


छलनी सा कर दिया 

जिन तानों से इस शातिर ज़माने ने 

हैरत तूझे उनमे भी भला 

शेर और अश'आर नजर क्यूँ आता है ? 


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