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Sushma Tiwari

Inspirational

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Sushma Tiwari

Inspirational

हिन्दी ही हूँ मैं

हिन्दी ही हूँ मैं

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कहने को कुछ हजार वर्ष पुराना

हिन्दी का स्वर्णिम इतिहास है

पर जिसकी जड़ें संस्कृत से जुड़ी

वैदिक काल से ही उसपर हमे विश्वास है

लोग नाम बदलते रहे, इतिहास बदलते रहे

कभी 'पुरानी' तो कभी 'नई' हिन्दी बोल

हिन्दी का प्रादुर्भाव बदलते रहे

प्रकृति की भाषा प्राकृत

हिन्दी उसकी अंतिम अपभ्रंश अवतार है

ज़न ज़न के मन में गूंजे हमारी माँ भारती

बाहरवालों का दिया 'हिन्दी' नाम भी सहर्ष स्वीकार है

विदेशी भाषाओं के दीवारों से घिरे हम

फ़िर भी उम्मीद अभी बाकी है

हाँ, हृदय से लोग हिन्दी के अभिलाषी है

अस्सी प्रतिशत खोज हिन्दी में करते लोग

हाँ, गूगल इसका साक्षी है

अर्थात!

इतना सब कुछ सह कर भी

हिन्दी दिलों तक जाती है

राजभाषा कहो या मातृभाषा

हिन्दी सबसे ज्यादा बोली जाती है

अपनी भाषा को सम्भाले रखने में

मैं भी जुड़ी हूं, हाँ मुझे हिन्दी भाषी होने पर गर्व है

गूंजे हमारी भारती चारो दिशाओं में

यह हिन्दी दिवस मेरे लिए तो पर्व है।




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