"मेरे अपने "
"मेरे अपने "
कैसे कहूँ कोई सुनता नहीं है,
कैसे लिखूँ कोई पढ़ता नहीं है !
कहते यहाँ सब हमदर्द अपने,
कैसे कहूँ कोई दिखता नहीं है !
अपनी व्यथाओं को
जग को सुनता हूँ
हृदय की बात को
लोगों को बताता हूँ !
कहते यहाँ सब हमदर्द अपने,
कैसे कहूँ कोई दिखता नहीं है !
अपनी ही धुन से
फुर्सत कहाँ है
कोई भी अपना
हमारा नहीं है !
कहते यहाँ सब हमदर्द अपने,
कैसे कहूँ कोई दिखता नहीं है !
कहते हैं नेता
बिगड़ी बनाएंगे
जीवन नैया को
पार लगाएंगे !
कहते यहाँ सब हमदर्द अपने,
कैसे कहूँ कोई दिखता नहीं है !
भूखी है जनता
रोटी नहीं मिलती
बेरोजगारों को यहाँ
नौकरी नहीं मिलती !
कहते यहाँ सब हमदर्द अपने,
कैसे कहूँ कोई दिखता नहीं है !
पर्वत और जंगल
पर ध्यान नहीं जाते
उनके कल्याण की
बात नहीं करते !
कहते यहाँ सब हमदर्द अपने,
कैसे कहूँ कोई दिखता नहीं है !
धर्मों का सम्मान
ये नहीं करते हैं
प्यार का पैगाम
ये नहीं देते हैं !
कहते यहाँ सब हमदर्द अपने,
कैसे कहूँ कोई दिखता नहीं है !
उन्माद से भला
कुछ नहीं होता है
विकास से ही
स्वर्ग यहाँ बनता है !
कहते यहाँ सब हमदर्द अपने,
कैसे कहूँ कोई दिखता नहीं है !
कैसे कहूँ कोई सुनता नहीं है,
कैसे लिखूँ कोई पढ़ता नहीं है !
कहते यहाँ सब हमदर्द अपने,
कैसे कहूँ कोई दिखता नहीं है !