"संवाद "
"संवाद "
लिखो तुम रोज ही कुछ भी कोई पढ़ता नहीं इसको ,
किसे है आज तक फुर्सत कहें तो हम कहें किसको !!
उन्हें कहने की आदत है नहीं कभी हम उन्हें सुनते ,
करें हम अपनी मनमानी सदा हम भी वही करते !!
सभी हैं मस्त अपनों में नहीं किसी और की चाहत ,
बने हैं दोस्त कागज़ पर नहीं कोई कान में आहट !!
अजब थी दोस्ती अपनी सदा सहयोग करते थे ,
कभी भी छूट जाए साथ नयन से आँसू बहाते थे !!
अभी की दोस्ती में हम किसी को हम नहीं जाने ,
कहाँ रहता है वो साथी कोई उसको ना पहचाने !!
क्षणिक ये साथ होते हैं विचारों से नहीं मिलते ,
बने ये मेरे साथी हैं नहीं कभी संग ही रहते !!
बने हो दोस्त लोगों से तो सब के साथ ही रहना
विचारों को हमेशा ही सदा संवाद से करना !!