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Pinky Dubey

Romance Tragedy

4  

Pinky Dubey

Romance Tragedy

अकेलापन

अकेलापन

1 min
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समुद्र के किनारे अकेले चलते हुए सोच रहा हूं

मैं ज़िंदगी मेरी बीत गई अकेलेपन में

ज़िंदगी में कितने उतार-चढ़ाव देखे

रिश्तों में टकराव देखे रिश्तों को जुड़ते और टूटे देखे

प्यार में धोखा देखा जिसे प्यार किया उसने दगा दिया

सोच रहा हुँ मैं समुद्र के किनारे अकेले चलते हुए

ज़िंदगी क्यों ऐसी है क्यों मेरे सपने टुट गए मुझे खुशी क्यु न मिली

अपने प्यार को दुसरो के साथ खुश देख  दिल मेरा रोता है 

मुझमे ऐसी क्या कमी उसने मुझे छोड़ दिया

इतनी नफरत कि मेरा चेहरा देखना गवरा भी नही है

सोच रहा हुँ मैं समुद्र के किनारे अकेले चलते हुए ज़िंदगी क्यों इतना इम्तहान लेती है

क्यों कभी खुशी कभी गम देती है काश जिसे हम चाहते वोह हमे मिलते

काश ज़िंदगी आसन सी होती सोच राहा हुँ मैं समुद्र के किनारे बैठे हुए अकेला हूं मैं

ज़िंदगी कट रही है अकेलेपन में।


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