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Jaswant Lal Khatik

Drama

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Jaswant Lal Khatik

Drama

रक्षाबंधन

रक्षाबंधन

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राखी का त्यौहार आया,

संग में खुशियाँ हजार लाया।

भाई-बहन का सच्चा प्यार,

एक धागे में पूरा समाया।


बहन अपने पीहर आयी,

घर में फिर से रौनक छायी।

बाबुल के बगिया की चिड़िया,

फिर से घर में बहार लायी।


सबके चेहरे खिले-खिले,

हँस-हँस कर सब बातें करते।

सब बचपन को याद करके,

साथ रहने की आस करते।


माथे पर तिलक लगाकर,

कलाई पर राखी बाँधती है।

जीवन भर प्यार के संग,

और रक्षा का वचन माँगती है।


बहन कहती है अपने भाई से,

एक वचन मुझे तुम देना।

कभी भी शराब मत पीना,

और अपनों को दुःख मत देना।


कहती है मेरे प्यारे भैया,

तुम राखी की लाज रख देना।

माँ-बाप की सेवा करना,

और उनको दुःख तुम मत देना।


गाड़ी तुम धीरे चलाना,

हेलमेट हमेशा पहन कर चलाना।

घर पर राहें तकते नन्हे बच्चे,

उन पर खूब प्यार लुटाना।


बहन तो इतना ही चाहती है,

अपने घर का मान बढ़ाती।

बहन बड़े ही प्यार से,

भाई की कलाई पे राखी सजाती।


बहन-बेटी जिस घर में होती,

उस घर में खुशियाँ आती।

भ्रूण हत्या क्यों करते हो,

बेटी ही सब रिश्ते निभाती।


बेटियांँ नहीं होगी घर में तो,

तुम्हें राखी बाँधेगी कौन।

ये त्यौहार भी मिट जाएगा,

सिर्फ यादें ही रहेगी मौन।


जिस बहन के भाई नहीं है,

ये भाई "जसवंत" है तैयार।

बांधकर रक्षा का बन्धन,

मनाओ सब राखी का त्यौहार।।


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