आजकल के नेताजी
आजकल के नेताजी
आजकल के नेताजी,
सफेद कुर्ता, सफेद टोपी,
सफेद गाडी ।
फिर भी
काला दिल होता इनका ।।
देश को खा रहे नेताजी
जैसे दीमक लकड़ी खाते ।
फिर भी इनकी हिम्मत देखो
देशभक्ति का तिलक लगाते ।।
झूठ बोलना काम इनका
सच का कभी नाम नही लेते ।
काम एक भी नही करवाते
आश्वासन ये हर रोज देते ।।
आठ जमात पढ़े नेताजी
चौदहवी पढे को समझाते है ।
बजट पास नही हुआ कहते ।
फिर
घर, कार और जमीन
कहाँ से लाते है ?
फाइले भेज दी आगे
पास पता नही कब होगी !
आस लगाये बैठी जनता
मांगे पूरी सबकी होगी !
जनता को तरसाते हुए
चार साल खूब कमाते ।
चुनावी साल में नेताजी
थोडा - सा धन बरसाते ।।
भोली - भाली जनता इनके
बहकावे में आ जाती है ।
मीठी बोली, हाथ जोड़ने पर
वोट इनको दे जाती है ।।
काश "जसवंत" नेता होता
देश से भ्रष्टाचार ज़रूर मिटाता ।
स्वच्छ राजनीति अपनाकर
गन्दी राजनीति जड़ से मिटाता !