' रिश्ता '
' रिश्ता '
एक धागा प्यार का, एक धागा विश्वास का,
एक धागा जज़्बात का और,
एक धागा खुशी और गम का।
सब धागे जो मिल जाते, तो बन जाता है एक रिश्ता।
रिश्ता जो है, अपने से अपनो का, प्यार से प्यार का,
रिश्ता जो परायों को अपना कर दे, और
सबके दिल में प्यार भर दे।
रिश्ता जिंदगी की मजबूत कड़ी हैं,
रिश्तों को जो आजमाएँ, वो मुश्किल घड़ी है। 
;
मजबूत हो रिश्ते ,तो प्यार जरुरी है,
बंधन ना टूटे, विश्वास जरुरी है।
प्यार ही रिश्ते की बुनियाद होती हैं,
मजबूत हो बुनियाद तो,
रिश्ते भी बुलन्दियों की ऊँचाई को छुती हैं।
कभी भी किसी रिश्तें में दरार ना आए,
तूफ़ान कितनी भी हो, रिश्तों की लौ जलती जाए
प्यार और विश्वास कभी कम ना हो,
हर " रिश्ता " अपना एक इतिहास रचाएँ।