ये आज की नारी हैं ।
ये आज की नारी हैं ।
कदमों की आहट से जिसकी
हर घर की सुबह हो जाए,
छन-छन करती जिसकी पायल
सबके होंठों पर हंसी लिए।
होते तो हैं , दो हाथ इनकी भी,
पर, दस हाथों का काम
चुटकियों में कर जाए।
सिखी हैं, हिम्मत जिसने रानी लक्ष्मीबाई से,
देख कर कल्पना चावला को,
डरती नहीं, किसी ऊंचाई से ।
आया समय, उठो तुम नारी,
नवयुग निर्माण तुम्हें करना हैं,
अपनी कर्मों से, अपनी संस्कृति से,
तुम्हें नया इतिहास देश का रचना है।
पुरुष प्रधान जगत में,
जिसने अपना लोहा मनवाया,
जो काम पुरुष करते आए,
हर वो काम करके दिखलाया ।
स्वाभिमान से जीती,
रखतीं अन्दर खुद्दारी हैं,
ये आज की नारी हैं,
ये आज की नारी हैं।