जिंदगी
जिंदगी
भगवान की दी हुई एक अनमोल दौलत,
हम सब हैं जिसकी बदौलत,
हैं एक ऐसी बंदगी,
जिसे कहते हैं हम " जिंदगी" ।
सच और झूठ का है ये आईना,
यहाँ हमें हैं सुखों और दुःखों को अपनाना,
जिंदगी जीते हैं सभी,
उम्र की सीढ़ियां चढ़ते हुए,
क्यों न करे हम सभी से मुहब्बत,
मिली हैं हमें जो कुछ पल की मोहलत।
टूट जाऐगी जब ये जिंदगी की कड़िया,
वापस न आएगी बीती हुई घड़ियाँ,
प्यार ही इस जीवन का, पैगाम है
"जिंदगी " इसी का नाम है ।