आँसू
आँसू
आँखों की गलियों में ये रहते हैं,
खुशी हो या गम, सपना हो या सच,
इसे अपनी ही भाषा में कहते हैं।
जरा सी दस्तक हो दिल पे,
तो चुपके से आँखों से छलकते हैं,
बूंद - बूंद सा सैलाब हैं ये,
जिसे " आँसू " कहते हैं।
आँखों का इन आँसू से
कुछ अलग सा रिश्ता है।
सपने अगर सच हो जाए,
साथ हमारे ये होता है ,
टूट जाए कोई सपना अगर,
तो ये सैलाब भी टूटता हैं।
कोई भी पहलु हो जिंदगी का,
हर रंग में ये साथ रहते हैं,
लब कुछ कहे, ना कहे,
पर, " आँसू " बहुत कुछ कहते हैं।