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Lokanath Rath

Romance Classics Inspirational

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Lokanath Rath

Romance Classics Inspirational

आयो फिर प्यार करें

आयो फिर प्यार करें

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ये समय भी बड़ा बेदर्दी है, पता नहीं चलता चलते रहेता,

उसके साथ भी उम्र चल पड़ता,

देखते देखते जैसे दिन ढलके साँज होता,

वैसे बचपन से जवानी और फिर बुढ़ापा आता,

ये तो नहीं की सब ठीक ठाक चलता !


फिर कभी वो कुछ पुराने यादे ताज़े होने लगता,

बचपन की वो बचपना वो खेल और डर याद आता,

दोस्तों के साथ खेल खेल मे, मे उसकी दोस्त बनजाता,

उसकी सिवा मुझे और कोई कियुं अच्छा नहीं लगता,

वो भी वही सोचती पर कह नहीं पाती की मे उसकी दिल मे बसता,


फिर बचपन की वो खेल के साथ हम जवान हुए,

हमारा मिलना जुलना चलते रहेता,

फिर हमें प्यार की नशा चढ़ने लगता,

एक दूसरे से घंटो बात करना अच्छा लगता,

कास वो पल हमें फिर मिलता,

और " आओ फिर प्यार करें " बोलता।


बाहों में बाहों डाल के मस्ती मे घूमते रहते,

कभी एक प्याले मे मिलके चाय पीलिया करते,

कभी एकांत मे बैठे ओठों से ओठ मिला भी लेते,

ना कहे मन की इच्छा और दिल की धड़कने अहसास करते,

तब हम समय की परवा नहीं करते,

एक दूसरे से कुछ पल की जुदाई बर्दास्त नहीं होते,


आँखों ही आँखों मे बात करलिया करते,

उम्र के साथ सोचते सोचते,

शादी के बंधन मे एक दूसरे को बांध लेते,

फिर चुपके चुपके हम नहीं मिलते,

जी भरके एक दूसरे को प्यार करते रहते,

तब तो " आओ फिर प्यार करें " कियुं हम बोलते?


अभी भी हम एक दूसरे के साथ रहते,

साथ साथ बैठके चाय पी लिया करते,

एक दूसरे का बहुत ख्याल भी रखते,

भाहर घूमने भी एक साथ जाते,

एकांत मे बैठने की कोसिस करते,

कियुं की परिबार और बच्चों के साथ रहते,

ओठों से ओठ तो नहीं मिलता पर आँखों से बात बात कर लिया करते,

तब तो " आओ फिर प्यार करें " क्यूँ हम बोलते ?


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