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Arpan Kumar

Romance

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Arpan Kumar

Romance

रीढ़

रीढ़

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बस में

सहेली से बतियाती

चहकाती लड़की की

धुली पीठ हँस रही थी

और झीने कपड़े से

बाहर आती

उसकी रीढ़

चिहुँक  रही थी

संगत देती हुई 

उसके चमकते दांतो की

भरपूर

 

हुलसती नदी की

आभा सारी

एकत्रित हो गई थी

ग्रीवा से कटी तक जाती

उस पतली पगडंडी पर

 

मैं गणित लगा रहा था

उसके चेहरे पर अभी

निर्दोषता और खिलखिलाहट के

कितने-कितने प्रतिशत होंगे

 

किसी कोण

किसी दिशा से देखो

पूरी दिखती है

नदी।


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