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Bhavna Thaker

Romance

4  

Bhavna Thaker

Romance

"रात अभी बाकी है" (श्रृंगार रस)

"रात अभी बाकी है" (श्रृंगार रस)

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चलो अनकही को मुखर कर लें, आधी रात अभी बाकी है, मेरे सीने पर सर रख दो मुलाकात शेष बाकी है..


हल्की-सी रोशनी में एक छुअन से झनझनाती उँगलियों को शिद्दत से जोड़ कर एक गलती करते,

चार दिवारी के भीतर चलो जन्नत खड़ी कर ले..


सरिता तुम बनो, मैं सागर बनूँ मेरी चाहत की लहरों में खुद को ढालकर बूँद-बूँद मेरी होते मुझमें समा जाओ..


मैं पी लूँ तुम्हारे होंठों की शबनम और तृप्त हो जाऊँ,

प्रेम की चरम को छू ले चलो मैं अधूरा हूँ तुम पूर्णतः समर्पित होते मेरी साँसों की आवाजाही बनो..

 

चकित कर दो मुझे अपने गेसुओं की चार लट मेरे चेहरे पर बिछाकर सुगंध मेरी नासिका में भर दो,

पलकें उठाओ न रात ठहर गई है..


तुम ख़्वाब बनकर मेरी आँखों में ठहर जाओ मैं उस लम्हे को पूजा समझूँ,

देखें दुनिया हमें अर्धनारीश्वर रुप में एक दूजे में कुछ यूँ घुल जाएं..


मैं स्तुति करूँ तुम्हारे रुप की, तुम हया को हटाकर खुद को मुझे उपहार में दे दो,

मैं दफ़नाकर खुद को तुम्हारी आगोश में धड़कन की सरगम सुनूँ..

 

दोनों के दरमियां विश्वास की चलो दीवार चुनें, बिछड़ भी जाएँ कभी एक दूसरे से किसी ओर के न होंगे हम.. 


सुबह का सूरज तुम्हें मुझसे दूर ले जाएगा,

अपने जिस्म की हल्की खुशबू मेरे भीतर छोड़कर जाना लोग मुझे इसी खुशबू से पहचानते है।



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