(रामराज्य)......
(रामराज्य)......
रामराज्य अब वो रामराज्य कहाँ रहा
अब तो घर -घर में रावण रह रहा,
लड़की छोटी या बड़ी
माँ की कोख में या दुनिया में
अब तो बस एक हवस बनी,
कपड़े छोटे या बड़े
साड़ी हो या सूट लोगों की शिकार हुई,
रामराज्य अब बो....
शरीर को ढककर चलती
आंखें फाड़ फाड़ तू देख रहा
सारा शरीर ढका हुआ फिर भी
जिस्म को निहारता रहा
अजनबी सी दोस्ती बनकर
प्यार का दिखावा वो करता रहा
मैं तो तेरा हूँ सारा जिस्म को
चूमता रहा रामराज्य अब ......
जिंदगी तो अपनी थी पर हम
दूसरों के शिकार हुए,
बेटी भी तो सीता माँ थी पर
क्यों आज हमारी बेटी रोती रही ,
लड़की की ज़िंदगी छीनी
लड़की का राज छीन कर ,
राम राज की बातें करते हो तुम
वह भी तो कौशल्या माता थी
क्यों किसी की बेटी को रुलाते हो तुम,
किसी के मरने के बाद अंतिम संस्कार तुम करते ,
फिर क्यों आज किसी की बेटी को ज़िंदा जलाते हो तुम,
रामराज्य अब....
भाई भाई ना रहा, लक्ष्मण भाई जैसे
बनने की बात तुम करते हो
चाचा ताऊ फूफा बुआ मामा माई कोई ना रहा ,
रिश्तों की बातें करते हो तुम
झूठा दिखावा तुम करते,
ये सब बंद कर दो तुम
सपनों से बाहर आकर
अब सड़कों पर दुंद करते हो तुम
काट न पाओ उन राक्षसों के हाथों को तुम
छू मत लेना उस पुतले के रावण को तुम
रामराज्य अब तो....
माँ बेटी को सुरक्षित ना रखते
फिर से सीता माँ को दोबारा
लाने को मत सोचना तुम
दुखी होती है वह माँ जिसने तुमको 9 महीने पेट में पाला
उसको ज़िंदा क्यों मारते हो तुम
रामराज्य अब रामराज्य ........
आज हम शपथ लेते हैं अपने रामराज को बचाते हैं
फिर से किसी बेटी को मरने मत देना
किसी भी बेटी को हवस का शिकार मत बनाना
अपने बच्चों अपनी बहू बेटियों को
शिक्षा शिष्टाचार का पाठ पढ़ाना तुम .....