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Alpi Varshney

Others

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Alpi Varshney

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नारी

नारी

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मैं भी तेरी श्वास हूँ,

पत्थर नहीं इंसान हूँ।

मासूम चेहरा मेरा,

वही कोमल सा मन मेरा।

अपने जज्बातों से जीती हूँ,

लड़का नहीं पर लड़की हूँ।

तुझसे ही बनी हूँ,

बस प्यार की भूखी हूँ, 

दिया नही मौका मुझे 

वस पराया बनाकर छोड़ दिया,

नारी है कुछ नही कर सकती

इस नारे से डरा दिया।

बांध दो जंजीरें इसके हाथों में

समाज ने तुझ से कह दिया

एक बार तो मुझे गले लगा लो

फिर चाहे हर कदम आजमा लो

तेरी खुशियों के खातिर

सब कुछ कुर्बान कर दूंगी 

तेरे प्यार के खातिर सब कुछ मिटा दूंगी

हर लड़ाई जीत कर दिखाऊंगी 

आसमान में परियों की तरह उड़ान भर दूंगी

अग्नि में भी जलकर फिर से जी लूंगी 

जहर का प्याला पी कर 

मौत को भी विदा कर दूंगी।


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