STORYMIRROR

Alpi Varshney

Abstract

4  

Alpi Varshney

Abstract

Happy rakshabandhan

Happy rakshabandhan

2 mins
256

भाई मैं आई हूं तेरे द्वार पर

तेरे हाथों पर राखी बांधने 

कभी मेरे से रूठकर 

मेरे से दूर मत चले जाना।

भाई ....


ये प्यार भरा है 

तेरा मेरा रिश्ता

हमेशा ज़िंदगी भर ,

मेरा साथ निभाना।

भाई....


मैं तो सिर्फ तेरे प्यार की भूखी हूँ

तेरे पास कुछ हो न हो 

बस अपनी कलाई

मेरी तरफ भड़ा देना।

भाई.....


मुझे कुछ देना या ना देना 

बस मेरे माँ बाप को 

उनके बुढ़ापे की दो रोटी 

उनको ख़िलादेना।

भाई मैं.... 


तेरे माथे पर चंदन का

टीका लगाऊँ

तेरे हाथों में, रेशम का धागा बाँधु

मांगू मैं अपने भाइयों की लम्बी उम्र का बरदान

मेरे भाई सुंदर से लगते कन्हैया

ममता में यशोदा मईया

और कोई नहीं है दूजा ऐसा कोई

वो तो है मेरे राजा भैया।।

भाई....


मैं भी तेरी बहन हूँ

एक बाहर भी किसी की बहन है

उसको अपनी बहन समझते रहना |

जब भी तेरे दिमाग में कोई गलत विचार आये 

मेरी तस्वीर अपने आँखों के सामने लेआना।

भाई....


मत रूठना मेरे भाई

बस ये रिश्ता ऐसे ही निभाना

जब भी खुद को अकेला महसूस करें 

मुझको आधी रात फोन करके 

मुझे अपने घर बुलालेना।

भाई.....


याद है ना तुझको हमारा बचपन

जब भी मैं तुझे राखी बांधती थी

तू मुझे रुपए न नहीं देता |

बस कहता था क्या करेगी

चल मोटी कितना खायेगी 

जब तुझे देखने तेरा दूल्हा आएगा

मोटी कहके तुझे फेल कर जाएगा।

भाई.....

 बचपन में लड़ाई हमारी 

कुत्ते बिल्ली की तरह होती थी

ना तो माँ की सुनना

ना ही पिता की सुनते थे।

भाई.....


जब भी माँ मुझे डांटती थीं

उसको तू डांटता था

जब भी किसी का भाई मेरी तरफ देखता

उसकी आंखें नौच लेता था|

देख भाई ये तेरा मेरा प्यार ही तो है 

जो मुझे आज भी याद है।

भाई.....


आज भी भाई सब रिश्ते है मेरे 

नही है वो बचपन बाली लड़ाई

नही है वो बचपन बाली बातें

जो अब बस यादें बनी है।


लाखों रिश्ते है मेरे पास 

बस तुम सब कहीं नहीं हो 

हमेशा खुश रहो मेरे भाइयों।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract