राजनीति (भाग 1)
राजनीति (भाग 1)
देखा था हमने भारत का नज़ारा
वो बारिश की बूंदें और नदी का किनारा
थी वीरों की धरती, अंग्रेजों को मारा
आज़ाद किया हिंदुस्तान सारा का सारा।
राम की दोस्ती और रहीम का भाईचारा
ना पंडित न ठाकुर ना गरीब, राजवाड़ा
'अखंड भारत' था हम सबका नारा
ऐसा था प्यारा भारत देश हमारा।
सोचा था आज़ादी से कुछ मिल सकेगा
बेघर को छत, गरीब का पेट भरेगा
युवा देश का गाँधी के पथ पर चलेगा
पुनः भारतवर्ष विश्व में आगे बढ़ेगा।
अखंड भारत का सपना कोई सच कर न पाया
गुजरे सरदार ना रहा बापू का साया
नवजात लोकतंत्र ने ऐसा खेल कराया
हमने जिसको भी चुना उसने लूट के खाया।
यहाँ थी गरीबी भुखमरी भी यहाँ थी
शिक्षा की कमी इन सबसे बड़ी थी
बीमारियाँ हम सबको घेरे पड़ी थी
मुसीबत पड़ोस से आन खड़ी थी।
गुलामी का बोझ हमने सालो से ढोया
पर लगा था अभी हमने कुछ भी न खोया
था लाला का क़र्ज़ पर अन्नदाता न रोया
'पूस की रात' में बेचारा 'हल्कू' ना सोया।
लालच हमारी भूल सबसे बड़ी थी
एकता की हमारे कमजोर कड़ी थी
राजनेताओं ने धर्म का ऐसा खेल चलाया
राम और रहीम ने अपनों के घरों को जलाया।
