मेरी बेटी
मेरी बेटी
पुरुष प्रधान सोच वाले सब, तरस किसपे खाऊं मैं
सोच है इन सबकी पिछड़ी, आगे कैसे बढ़ाऊं मैं
बेटी भी वंश चला सकती है, कैसे सबको समझाऊं मैं
नारी की ताकत का लोहा, कैसे इन्हें मनवाऊं मैं!
नारी सबको खुश रखती है, सारे दुख वो सहती है
माँ, बहन और बेटी के रूप में देवी घर मे रहती है
जीवन भर वो डटकर मुश्किलो का सामना करती है
फिर भी क्यों हर घर की लक्ष्मी बेटे की कामना करती है!
