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Divyanshu Mishra

Inspirational

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Divyanshu Mishra

Inspirational

राम या रावण

राम या रावण

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राम नहीं मिल सकते हैं

इस कलयुग के काल में

क्या पूजूं मैं रावण को

या फंसा रहूं भंवरजाल में?


मर्यादा पुरुषोत्तम थे वो

विष्णु का अवतार

स्पर्श मात्र से कर दिया

माँ अहिल्या का उद्धार।


पिता के वचनों के खातिर

चौदह वर्ष वनवास गए

सन्यासी बन घर से निकले

राजपाठ सब छोड़ गए।


ऋषि मुनियो की सेवा की

अतिसाधारण जीवन जिया

धर्म की रक्षा की खातिर

ताड़का का वध किया।


सूर्पणखा पर हमला कर

लक्ष्मण ने आग लगा दी थी

क्रोध के आवेग में

रावण से बैर करा दी थी।


रावण ने भी चाल चली

मामा मारीच का साथ लिया

राम को अपने छल में घेरा

और माँ सीता का हरण किया। 


कौन सही और कौन गलत

ये बतलाना आसान नहीं

अत्यंत पराक्रमी था रावण

उससे आगे राम नहीं।


राम सा पुत्र सब चाहते हैं

रावण का कोई मान नहीं

राक्षस कुल का उद्धार किया

कोई रावण सा बुद्धिमान नहीं।


क्यों ना पूजूं मैं रावण को

जिसने महादेव को शीश दिया

और बहन की इज़्ज़त खातिर

नारायण से बैर लिया।



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