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Dr.Narendra kumar verma

Fantasy Inspirational

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Dr.Narendra kumar verma

Fantasy Inspirational

राह विचल -राह अविचल

राह विचल -राह अविचल

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"कर्म ,धर्म - पंथ से पारंगत" ,

कार्य कुशल व स्वस्थ मन ,अश्वमेध की राह पर,

तन अर्पण और मन अर्पण 

बंधन का अभिषेक पथ ,राह विचल - राह अविचल!


कर्म ही पहचान है, भेष बदलता संसार है ,

मंजिलों की राह पर, दृढ़ परिश्रमी प्रयास कर,

बारम्बार कयास पर , कर्मयोग का घोर अविरल,

ईश्वर सा सौभाग्य धन्य , राह विचल- राह अविचल!


गुण-अवगुण समान मार्ग पर, यह हंसी का खेल नहीं,

प्रसन्नता की माप है, यह कर्म ही परिणाम है ,

पाप- पुण्य का फेर कहीं , कहीं प्रभाव- अभाव का द्वार है,

मस्तक की लकीरों का दर्पण, राह विचल- राह अविचल!


रुक जहां गया, जहां वहाँ रुक गया ,

गांधी का सत्य, आजादी का मत अहिंसा,

अंबेडकर का नैतिक मूल्य, सुभाष का आत्म गौरव और,

लोकतंत्र का मूल अमर, राह विचल- राह अविचल!


कृष्ण जीवन के सारथी उपदेश, देते अर्जुन को धर्म पालन,

समय-समय पर बदलते अधिकार है,

मस्तक की मझधार में, कर्म बड़ा बलवान है,

कर्म पथ पर सघन रथ, राह विचल - राह अविचल !


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