कृष्णप्रिया "सवैया"
कृष्णप्रिया "सवैया"
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कृष्ण प्रिया मनुहार करे
मनमोहन खूब रिझावत हैं।
सौतन बाँसुरिया
अधराधर श्याम सखे
तड़पावत हैं।
झूमत हैं मन ही मन में
जिमि मेघ सनेह लुटावत हैं।
रूठि गयी वृषभानु
लली जब प्रेम सुधा सरसावत हैं।