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aazam nayyar

Abstract Romance Fantasy

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aazam nayyar

Abstract Romance Fantasy

बंदगी

बंदगी

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ख़ुदा की करनी बंदगी चाहता हूँ 

सभी दूर हो ग़म यही चाहता हूँ 


पुरानी राहों से मिली है दग़ा रब 

राहें अब वफ़ा की नयी चाहता हूँ 


ख़ुदा से करता हूँ दुआ रोज़ मैं तो 

ख़ुशी से भरी जिंदगी चाहता हूँ


भुलाकर दग़ा से भरी दोस्ती को 

वफ़ा से भरी दोस्ती चाहता हूँ 


मुहब्बत हो जिसकी सदा साथ मेरे  

कोई ऐसी रब आशिक़ी चाहता हूँ


अंधेरे मिटे नफ़रतों के ही जिससे 

मुहब्बत की मैं चांदनी चाहता हूँ


सदा फ़ूल खिलता रहे प्यार के ही 

ख़ुदा बरसें वो शबनमी चाहता हूँ


जो देखे आज़म को वफ़ा से हमेशा 

ख़ुदा कोई ऐसी नजरें चाहता हूँ।

आज़म नैय्यर 


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