तेरा इंतजार
तेरा इंतजार
ताकती रहती राह को उनकी, उम्मीद लगाए हर पल आस
जाने कितनी अभिलाषाओं ने, फैलाये मदु मुक्ता जाल।
व्याकुल दिन, अकुलाई शाम, प्रतीक्षा में बहते आँसू मेरी दिन-रात
नीरस नैन भी थक चुके है, जोह-जोहकर उनकी बाँट।
बाबली होकर इत-उत डोलूँ, विकल-बेसुध वन-उपवन व सारे बाग
आघात सहती अपवादों के होती, अमावस की हर मेरी रात।
खबर पाऊँ जो आ रहे स्वामी, स्वागत करूँ मैं उनका खास
बिछ जाऊँगी बन पथ गामिनी, जब वो आएंगे मेरे पास।